जीवन लग जाता है घर बनाने में, आपको तरस नहीं आता है एक मिनट में उजड़ने में । यह पंक्ति दिल्ली में हुई हिंसा पर सटीक बैठती है। वह दिल्ली के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उच्च न्यायालय के जज मौजूद हैं। मिनट में देश के हर कौन के लिए फैसला सुनाया जाता है। बड़ी विडम्बना है अराजक तत्व खून खराबा कर गए। पुलिस हेड कांस्टेबल सहित 34 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में हर दल के नेता हिंसा के लिए लोगों को उकसाते रहे। हिंसा हुई तो बोरों में पत्थर लाई गई। आगजनी में लोगों के मकान और दुकान आग के हवाले कर दी गई। दिल्ली की हिंसा ने 1984 जैसे तसवीर दिखाने दी थी। यानी नेता सत्ता हासिल करने के लिए सब कुछ कर सकते हैं।